बीते महीने मुज़फ़्फ़रनगर की रहने वाली दीक्षा ने एक बच्चे को जन्म दिया है। अपनी गर्भावस्था के दौरान वह शारीरिक और मानसिक बदलावों से अलग वह एक अन्य बात को लेकर भी बहुत चिंतित थी कि बच्चे की देखभाल और अन्य सब चीजें कैसे संभाल पाएंगी। इस बात को अधिक सोचने की वजह से कई बार उनकी तबीयत भी ख़राब हुई थी। दरअसल दीक्षा इस तरह सोचने वाली अकेली महिला नहीं हैं जो बच्चे की देखभाल और अपनी अन्य चीजों को मैनेज करने को लेकर चिंतित है। जेंडर द्वारा निर्धारित भूमिकाओं की वजह से माँ का बच्चे की सारी जिम्मेदारी और ध्यान रखना और घर-परिवार को संभालने की वजह से उन्होंने तनाव का सामना किया।
अक्सर हम अपने आसपास के माहौल में देखते हैं कि घर या समूह में एक व्यक्ति होता है जिसका नाम हर काम के लिए लिया जाता हैं। हर ज़रूरत को पूरा करने और देखभाल की जिम्मेदारी केवल उस शख्स से उम्मीद की जाती है। इस तरह की उम्मीद और हर वक्त उपलब्धता की वजह से उस व्यक्ति का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। यह स्थिति उस व्यक्ति को केयरगिवर स्ट्रेस से घेर लेती है।
केयर गिवर कौन है?
एक केयरगिवर वह होता है जो ज़रूरतमंद किसी अन्य व्यक्ति की देखभाल करता है, जैसे एक बच्चा, एक वृद्ध माता-पिता, एक पति-पत्नी, एक रिश्तेदार, दोस्त या पड़ोसी। इतना ही नहीं देखभाल करने वाला यह काम पेशेवर के रूप में भी हो सकता है जहां वह वेतन के बदले अपनी सेवा देता है। जिन लोगों को देखभाल करने के लिए भुगतान नहीं किया जाता है उन्हें अनौपचारिक केयरगिवर या पारिवारिक देखभाल करने वाला कहा जाता है। परिवार में किसी चोट, विकलांग या किसी बीमारी प्रियजन की नियमित रूप से देखभाल करते हैंं। परिवार में देखभाल करने वाले को अक्सर व्यक्ति के रोज के कामों का प्रबंधन करना पड़ता है। इसमें नहाना, खाना या दवा देने जैसे रोज के कामों के साथ घर के अन्य काम भी शामिल होते हैं। इसके अलावा अन्य गतिविधियां जैसे स्वास्थ्य और आर्थिक फैसले लेना भी शामिल होता है।
केयरगिवर स्ट्रेस क्या है?
देखभाल करने वाले व्यक्ति पर भावनात्मक और शारीरिक प्रभाव भी पड़ता है ऐसी स्थिति में केयरगिविंग स्ट्रेस होने का जोखिम बना रहता है। कई रिपोर्ट यह बताती है कि इस तरह की देखभाल करने वाले लोग उन लोगों की तुलना में तनाव से ज्यादा घिरे होते हैं जो ऐसी भूमिका नहीं निभाते हैं। देखभाल करने वाले लोग हमेशा एक आवाज़ (कॉल) पर उपलब्ध होते है जिस वजह से वह काम, परिवार, दोस्त या खुद के लिए समय बहुत कम समय निकाल पाते है।
क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार केयरगिवर बर्नआउट शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थकावट की एक स्थिति है। यह बदलाव देखभाल के सकारात्मक और नकारात्मक बदलाव से जुड़ा है। बर्नआउट तब हो सकता है जब एक देखभाल करने वाले व्यक्ति को उनकी ज़रूरत की मदद नहीं मिलती है या वे अपनी शारीरिक या आर्थिक क्षमता से ज्यादा करने की कोशिश करते हैं। इस स्थिति में केयरगिवर तनाव की स्थिति में आ जाता है।
केयरगिवर स्ट्रेस के लक्षण
अक्सर यह देखा जाता है कि एक देखभाल करने वाले वाला व्यक्ति अपने प्रियजन की देखभाल पर इतना ध्यान केंद्रित कर लेता है कि वह खुद के स्वास्थ्य पर ध्यान ही नहीं देता है। देखभाल करने वाले व्यक्ति को इस तरह के लक्षणों पर सतर्क होने की आवश्यकता है। मायो क्लीनिक के अनुसार लगातार चिंता महसूस करना, अक्सर थकान महसूस करना, बहुत अधिक नींद लेना या पर्याप्त न लेना, वजन बढ़ना या कम होना, आसानी से चिढ़ना या गुस्सा हो जाना, हमेशा दुखी महसूस करना, बार-बार सिरदर्द महसूस करना, शरीर में दर्द या अन्य शारीरिक समस्या महसूस करना आदि है।
विशेष तौर पर लंबे समय से बहुत अधिक तनाव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। एक केयरगिवर को उसके काम की वजह से अधिक डिप्रेशन और एंग्जायटी होने की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा अच्छी नींद न लेना, शारीरिक गतिविधि की कमी कई तरह की मेडिकल परेशानी जैसे दिल से जुड़ी बीमारियां और डायबिटीज जैसी परेशानी बढ़ सकती है। महिलाएं पुरुषों के मुकाबले देखभाल के काम में ज्यादा लगी होती है। इस वजह से एंग्जायटी और डिप्रेशन होने की उनमें ज्यादा संभावना होती है।
तनाव की वजह से एक देखभाल करने वाले व्यक्ति के पाचन तंत्र पर भी असर पड़ता है जिस वजह से शरीर पर बीमारी जल्दी असर करती है। साथ ही तनाव की वजह से वजन बढ़ने की समस्या भी होने की संभावना रहती है। तनाव की कारण महिलाएं का वजन तेजी से बढ़ता है। मोटापे की वजह से अन्य शारीरिक बीमारी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और डायबिटीज होने का खतरा रहता है। साथ ही शार्ट टर्म मेमोरी यानी याददाश्त में कमी और ध्यान में कमी से जुड़ी समस्याएं भी देखी जा सकती है। अलज़ाइमर रोग वाले मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति में याददाश्त और ध्यान की कमी से जुड़ी होने की ज्यादा समस्याएं होती है।
केयरगिवर और लैंगिक भूमिका
एक रिपोर्ट के अनुसार 60 प्रतिशत केयरगिवर महिलाएं हैं। डिमेंटिया के मरीजों की देखभाल करने वालों में 70 फीसदी महिलाएं केयरगिवर हैं। दरअसल लैंगिक भूमिकाओं की वजह से घर-परिवार में देखभाल के काम महिलाओं पर सौंप दिए जाते हैं। इस तरह की जिम्मेदारियों को महिलाओं की सौंपने की वजह से वे अन्य क्षेत्र में पिछड़ जाती है। अत्याधिक घरेलू काम और जिम्मेदारियों की वजह से पुरुषों की तुलना में महिलाओं के पास सार्वजनिक क्षेत्र में हिस्सा लेने में कम समय होता है। यूनाइडेट नेशन जनरल असेंबली के अनुसार निम्न या सीमित सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच रखने वाले समुदायों में अवैतनिक देखभाल कार्य तेज हो गया है। माना जाता है कि अवैतनिक देखभाल कार्य करने वाली महिलाएं सार्वजनिक क्षेत्र में सक्रिय नहीं हो सकती है और सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने के लिए कोई मांग नहीं है जिसका परिणाम यह है कि महिलाएं अपनी ज़रूरतों को पूरा किये बगैर अपनी भूमिका निभाती पड़ती हैं।
एलजीबीटीक्यू+ केयरगिविर्स करते हैं ज्यादा तनाव का सामना
बोस्टन यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ रिसचर्स ने पाया है कि एलजीबीटी केयरगिवर्स में तनाव की वजह से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी ज्यादा बुरी स्थिति होने का जोखिम बना रहता है। इस अध्ययन में देखभाल करने वाले एलजीबीटी समुदाय की तुलना हेट्रोसेक्सुअल और सिसजेंडर समकक्षों के साथ की गई। कम्युनिटी हेल्थ साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर अलरिके बोहेमर के अनुसार, “देखभाल करने वालों की बढ़ती संख्या के साथ उनकी ज़रूरतों और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर बात करना आवश्यक है। बड़ी संखा में एलजीबीटी केयरगिविर्स के काम करने के बावजूद उन्हें देखभाल करने वालों में शायद ही माना जाता है।”
रिसर्च के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया है कि 4 में से 1 बाईसेक्सुअल सिसजेंडर पुरुष केयरगिवर्स थे, उसके मुकाबले 6 में से 1 सिसजेंडर हेट्रोसेक्सुअल पुरुष देखभाल करने वाले थे जबकि 5 में से 1 सिसजेंडर महिला बिना की किसी सेक्सुअल ओरिएंटेशन पहचान के देखभाल का काम कर रही थी। रिसर्च में यह भी पाया कि सभी प्रतिक्रिया देने वालों में 4 या 5 में से 1 केयरगिवर चाहे वे सिंसजेंडर हो या ट्रांसजेंडर हो।
शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च में 30 दिनों में सेल्फ रिपोर्टिड स्वास्थ्य और खराब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े डेटा की तुलना की। सिसजेंडर उत्तरदाताओं में क्वीयर और केयरटेकर होना स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक और एक तरह का अपवाद भी है। साथ ही रिपोर्ट में एलजीबी+ केयरगिवर्स में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति ज्यादा चिंताजनक मिली। किसी भी समूह में एलजीबी महिला केयरगिवर में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति सबसे खराब देखने को मिली।
कम्युनिटी हेल्थ साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर अलरिके बोहेमर के अनुसार, “देखभाल करने वालों की बढ़ती संख्या के साथ उनकी ज़रूरतों और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर बात करना आवश्यक है। बड़ी संखा में एलजीबीटी केयरगिविर्स के काम करने के बावजूद उन्हें देखभाल करने वालों में शायद ही माना जाता है।”
केयरगिवर स्ट्रेस के मुद्दे पर बात करते समय इस तरह का काम करने वाले लोगों की संख्या में विभिन्नता का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है। एक तरफ जहां महिलाएं पीढ़ी दर पीढ़ी जिम्मेदारी के तौर पर देखभाल का काम बिना किसी वेतन के करती आ रही है। वहीं ट्रांस समुदाय के लोगों को उनकी लैंगिक पहचान की वजह से केयरगिवर्स के काम में ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। केयरगिवर स्ट्रेस से बचाव का पहला कदम है अलगाव का व्यवहार न होना इसलिए हमेशा औरों की मदद करने वाले लोगों के लिए समावेशी और स्वीकार्यता वाला माहौल बनना बहुत ज़रूरी है। लगातार इस तरह के काम से बीच में ब्रेक लेकर खुद को आराम और अपनी पसंद की चीजों में समय बिताना बहुत ज़रूरी है।