इंटरसेक्शनलजेंडर ‘चार पैसे’ कमाती औरतें, पितृसत्तात्मक समाज को क्यों खटकती हैं!

‘चार पैसे’ कमाती औरतें, पितृसत्तात्मक समाज को क्यों खटकती हैं!

हमें यह समझना होगा कि जब एक ग्रामीण क्षेत्र की महिला अपने घर से बाहर कदम निकालती है और थोड़े ही सही पर पैसे कमाने लगती है तो उसकी वह कमाई भले ही उसके सारे सपने एक़बार में पूरा न कर सके, लेकिन उसे एक आत्मविश्वास ज़रूर देती है।

“घर से बाहर काम करने जाएगी तो परिवार की इज़्ज़त कम हो जाएगी।”

“अच्छे परिवार की औरतें नौकरी नहीं करती हैं।”

“पत्नी कमाए ये शोभा नहीं देता है।”

“अगर कमाने जाएगी तो घर कौन देखेगा।”

जब कभी भी हम महिलाएं अपने घर के बाहर कदम निकालती हैं तो अक्सर ऐसी कई तरह की बातें सुननी पड़ती हैं। मुझे याद है जब मैंने अपने घर की आर्थिक तंगी से परेशान होकर अपनी पति का साथ देने और उनका हाथ बंटाने की कोशिश की थी तो परिवार और आसपास के लोगों ने मुझे कितने बुरे ताने दिए थे। इस विचार को लेकर ही कई दिनों तक मेरे घर में बहस और लड़ाइयां चलीं और शुरुआत में तो मेरे पति ने भी मुझ पर ग़ुस्सा किया। फिर एक दिन मुझे जैसे ही एक संस्था में काम मिला मैं घर से साइकिल लेकर निकल गई। वह साइकिल जिसे मैंने दस साल पहले अपने शादी के बाद से ही चलाना छोड़ दिया था। एक वह दिन था और एक आज का दिन है, बहुत कुछ बदला है, बहुत कुछ बदल भी रहा है और अभी बहुत कुछ बदलना बाक़ी भी है।

अक्सर जब मैं गाँव में, अपने घर और आसपास में युवा महिलाओं से मिलती हूं तो उन्हें भी उसी हिचक में पाती हूं, जिसमें मैंने भी कई साल गुज़ारे हैं। जब परिवार का डर, रिश्ते को ख़त्म होने का डर, घर को समय न दे पाने का डर और घर से अकेले बाहर निकलने जैसे कई डर से हम घिरे होते हैं। यह डर कई बार इतना प्रभाव डालता है कि हम खुद भी अपने बढ़ते कदमों को रोक लेते हैं। इसलिए ज़रूरी हो जाता है कि हम अपने व्यक्तिगत स्तर पर कुछ तैयारी करें। तो आइए आज हम चर्चा करते हैं उन बातों के बारे में जिसे हर उस महिला को अपने मन में रखना चाहिए, जो अपने कदम घर से निकालने की तैयारी में हो।

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अक्सर जब मैं गाँव में, अपने घर और आसपास में युवा महिलाओं से मिलती हूं तो उन्हें भी उसी हिचक में पाती हूं, जिसमें मैंने भी कई साल गुज़ारे हैं। जब परिवार का डर, रिश्ते को ख़त्म होने का डर, घर को समय न दे पाने का डर और घर से अकेले बाहर निकलने जैसे कई डर से हम घिरे होते हैं।

पैसे कमाने के लिए घर से बाहर निकलना मेरा फैसला है

कई बार महिलाएं नौकरी को लेकर इस धारणा के साथ जीती हैं कि नौकरी करना या पैसे कमाने के लिए अपने घर से बाहर जाना सिर्फ़ एक औरत की मजबूरी होती है, जिसे वे अपने सबसे बुरे दिन के रूप में देखती हैं। यहां हमें यह समझना होगा कि पैसे कमाने के लिए अपने घर से निकलना हर बार किसी महिला की मजबूरी नहीं बल्कि उसका निर्णय या फ़ैसला या चुनाव होता है। अगर समाज की व्यवस्था को हम देखें तो यह हमें महिला होने के नाते यही बताती है कि घर में चाहे कितनी भी दिक़्क़त आए लेकिन घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। जो भी रूखा-सूखा मिले उसी में ज़िंदगी गुज़ारनी चाहिए। लेकिन जब महिला समाज की इस धारणा का तोड़ते हुए अपने और अपने परिवार के लिए बाहर निकलती है तो यह उसकी मजबूरी बिल्कुल नहीं होगी, क्योंकि उसने हालात के सामने घुटने टेकने की बजाय खुद को अपने पैरों पर खड़ा करना चुना है, इसलिए ये उसका निर्णय है।

कई बार ये निर्णय हमें अजीब इसलिए भी लगता है क्योंकि समाज की पितृसत्तात्मक व्यवस्था हम महिलाओं को अपने लिए निर्णय लेने का कोई मौक़ा नहीं देती है। इसलिए अपने निर्णय को लेकर भी कई बार हम कम आत्मविश्वास महसूस करते हैं। लेकिन हमें समझना होगा कि अपने जीवन के लिए सबसे अच्छा निर्णय सिर्फ़ और सिर्फ़ हम ही कर सकते हैं। इसलिए अगर आप भी पैसे कमाने के लिए घर से बाहर कदम निकाल रही हैं तो इसे अपनी मजबूरी नहीं बल्कि गर्व से अपना निर्णय कहिए।

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कई बार महिलाएं नौकरी को लेकर इस धारणा के साथ जीती हैं कि नौकरी करना या पैसे कमाने के लिए अपने घर से बाहर जाना सिर्फ़ एक औरत की मजबूरी होती है, जिसे वे अपने सबसे बुरे दिन के रूप में देखती हैं। यहां हमें यह समझना होगा कि पैसे कमाने के लिए अपने घर से निकलना हर बार किसी महिला की मजबूरी नहीं बल्कि उसका निर्णय या फ़ैसला या चुनाव होता है।

महिला की कमाई उसे आत्मविश्वास देती है

जब कभी भी महिला घर से बाहर जाकर कमाई के बारे में सोचती है तो परिवार से पहला सवाल ये आता है कि- कितना पैसा मिलेगा? ज़ाहिर है जब शिक्षा, प्रशिक्षण और अवसर से बचपन से ही महिलाओं को दूर रखा जाता है तो कमाई की बात आने पर आज भी महिलाओं की योग्यता पुरुषों की अपेक्षा कम होगी, और जब योग्यता कम होगी तो पैसे भी कई बार पुरुषों की अपेक्षा कम ही मिलने शुरू होंगे। लेकिन इस कम पैसे की कमाई से ही शुरुआत कर पाना एक बड़ी चुनौती होती है। हर बार परिवार और समाज यही सवाल करता है कि कितना पैसा मिलेगा? अगर आपने अपने कदम उस कम पैसे वाले काम के लिए निकाल लिए तो ताने मिलेंगे कि चार रुपए की नौकरी के लिए घर से बाहर जाती है। ये ऐसी बातें है जो अक्सर महिलाओं के आत्मविश्वास को प्रभावित करती हैं।

हमें यह समझना होगा कि जब एक ग्रामीण क्षेत्र की महिला अपने घर से बाहर कदम निकालती है और थोड़े ही सही पर पैसे कमाने लगती है तो उसकी वह कमाई भले ही उसके सारे सपने एक़बार में पूरा न कर सके, लेकिन उसे एक आत्मविश्वास ज़रूर देती है। वह आत्मविश्वास जो उसके होने और उसके अस्तित्व का उसे एहसास करवाता है। ये पैसे उसे इस बात का भरोसा दिलाते हैं कि अब कम से कम उसे अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा और उस पैसे पर सिर्फ़ और सिर्फ़ उसका अपना हक़ है। इसलिए अपनी कमाई को सिर्फ़ पैसा ही नहीं एक ज़रिया समझिए अपने आत्मविश्वास को पाने का, क्योंकि फिर यही ज़रिया आगे आपके आत्मविश्वास और कमाई को बढ़ाने में आपकी मदद करेगा।

ये दो ऐसी बातें हैं, जिसे महिलाओं को हमेशा अपने मन में रखना चाहिए। ख़ासकर तब जब वे अपने घर से अपने सपनों, ज़रूरतों और खुद के लिए पैसे कमाने की दिशा में अपने कदम बढ़ा रही होती हैं। ये वे चुनौतियां हैं जो कई बार उनके कदमों की रफ़्तार को प्रभावित करती हैं और कई बार उनके बढ़ते कदम को रोक भी देंती है। अपनी अगली किस्त में हम बात करेंगे ऐसे ही कुछ और पहलुओं की जिसे हर महिला को अपने मन में रखना चाहिए।  

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तस्वीर साभार: World Bank Group

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